रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से किशोरी लाल शर्मा होंगे कांग्रेस के उम्मीदवार

अमेठी/रायबरेली

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने नामांकन के अंतिम वक्त अपने पत्ते खोल दिए हैं. पार्टी ने रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया है. दोनों नामों की लिस्ट आ गई है. राहुल गांधी अब तक अमेठी से चुनाव लड़ते हैं. इस बार पार्टी ने उनकी सीट बदल दी है. जबकि केएल शर्मा पहली बार चुनावी मैदान में होंगे.

शर्मा को सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है. वो अब तक रायबरेली में सांसद प्रतिनिधि के रूप में जिम्मेदारी संभालते आए हैं. सात चरण के आम चुनाव के पांचवें फेज में 20 मई को अमेठी और रायबरेली सीट पर मतदान होगा. ये दोनों सीटें परंपरागत रूप से गांधी-नेहरू परिवार के सदस्यों के पास रही हैं. पहली बार पार्टी ने अमेठी से गैर गांधी परिवार से उम्मीदवार बनाया है.

अमेठी और रायबरेली में नामांकन की तैयारी पूरी हो गई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी नामांकन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए रायबरेली जा रहे हैं. खड़गे सुबह 10:30 बजे रायबरेली पहुंचेंगे.

अमेठी में बीजेपी से स्मृति ईरानी मैदान में

बता दें कि अमेठी से बीजेपी की सांसद स्मृति ईरानी एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं. जबकि रायबरेली से बीजेपी ने दूसरी बार दिनेश प्रताप सिंह पर भरोसा जताया है. दिनेश 2019 का चुनाव हार गए थे. 2019 में रायबरेली से कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने जीत हासिल की थी.

कांग्रेस से केएल शर्मा होंगे अमेठी से उम्मीदवार

2014 और 2019 में अमेठी सीट पर राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के बीच चुनावी मुकाबला देखा गया. 2014 में राहुल ने जीत हासिल की थी. जबकि 2019 में स्मृति ईरानी ने बड़ा उलटफेर किया था और पहली बार जीत हासिल की थी. इस बार कांग्रेस ने अमेठी में नया दांव खेला है और अपने करीबी किशोरीलाल शर्मा को मैदान में उतारकर चौंका दिया है.

वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं राहुल गांधी

अमेठी सीट पर राहुल गांधी ने पहली बार 2004 में चुनाव जीता था. उसके बाद वे लगातार तीन बार 2019 तक वहां से संसद सदस्य बने रहे. राहुल वर्तमान में केरल के वायनाड सीट से सांसद हैं और इस बार भी उन्होंने वायनाड से चुनाव लड़ा है. वहां दूसरे चरण में वोटिंग हो गई है.

पार्टी ने इस बार राहुल गांधी की यूपी में सीट बदल दी है. राहुल को गांधी परिवार की दूसरी परंपरागत सीट रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारा गया है. सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी के नामांकन प्रक्रिया में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी शामिल हो सकती हैं.

रायबरेली सीट क्यों अहम?

2019 के चुनाव में कांग्रेस यूपी की जो एक सीट जीत सकी थी, वो रायबरेली सीट ही थी. इस सीट से सोनिया गांधी संसद पहुंची थीं. सोनिया गांधी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही हैं. वे राजस्थान से राज्यसभा पहुंच चुकी हैं. दरअसल, सोनिया गांधी ने 2019 में घोषणा की थी कि यह उनका आखिरी लोकसभा चुनाव होगा. वे 1999 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार अमेठी से चुनाव लड़ी थीं और जीत हासिल की थी. उसके बाद 2004 में वो पहली बार रायबरेली से चुनाव लड़ीं और जीतीं. सोनिया गांधी कुल पांच बार सांसद चुनी गईं.

कांग्रेस ने अमेठी लोकसभा सीट पर भी प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। इस बार अमेठी में गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा है। पिछली बार यहां से उतरे राहुल गांधी को रायबरेली से उतार दिया गया है। अमेठी से कांग्रेस ने केएल शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी का बहुत पहले ही ऐलान कर दिया था। केएल शर्मा को गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है। उनका रिश्ता न सिर्फ अमेठी बल्कि रायबरेली से भी है। रायबरेली में सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के रूप में लंबे समय से केएल शर्मा ही कामकाज देख रहे है। 

केएल शर्मा का पूरा नाम किशोरी लाल शर्मा है। मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले किशोरी लाल शर्मा ने 1983 में राजीव गांधी के साथ रायबरेली और अमेठी में कदम रखा था। राजीव गांधी की मौत के बाद गांधी परिवार से उनके रिश्ते पारिवारिक हो गए। इसके बाद वह गांधी परिवार के ही हो कर रह गए। 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद कभी शीला कौल के काम को देखते तो कभी सतीश शर्मा के कार्यों को देखने रायबरेली और अमेठी आते जाते रहते थे। 

जब पहली बार सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति में अमेठी गईं तो केएल शर्मा उनके साथ-साथ अमेठी आ गए। जब सोनिया गांधी ने राहुल गांधी के लिए अमेठी सीट छोड़ दी और खुद रायबरेली आ गईं तो केएल शर्मा ने रायबरेली और अमेठी दोनों ही सीटों की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। 

केएल शर्मा रायबरेली और अमेठी दोनों ही सीटों पर कार्यों की देखरेख करने लगे। वक्त के साथ लोग कांग्रेस को छोड़ने लगे लेकिन केएल शर्मा की निष्ठा और वफादारी में कभी कोई कमी नहीं आई। कभी केएल शर्मा बिहार के प्रभारी रहे तो कभी पंजाब कमेटी के सदस्य भी बने। एआईसीसी के मेंबर रहे तो कभी चुनावी बागडोर उनके हाथों में रही।

Source : Agency

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