रुपाली गांगुली ने किसी की परवाह नहीं की, ये नहीं सोचा कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं

मुंबई

रुपाली गांगुली को आज के जमाने के लोग भले ही 'अनुपमा' के किरदार से पहचानते हों, लेकिन 90 के दशक के लोगों के लिए वो 'साराभाई वर्सेस साराभाई' की प्यारी मोनिशा ही हैं। रुपाली ने खूब शोज किए। फिल्में भी कीं। वो फिल्मी बैकग्राउंड से ताल्लुक रखती थीं। उनके पिता अनिल गांगुली फेमस फिल्ममेकर थे, लेकिन एक ऐसा वक्त भी था, जब उन्हें संघर्षों से गुजरना पड़ा था। उनके पिता हॉस्पिटल में थे, इलाज की रकम चुकाने के लिए उन्हें जो काम मिलता था, मजबूरन वो उसे कर लेती थीं। चूंकि वो बंगाली कम्युनिटी से बिलॉन्ग करती थीं और वहां पर टीवी में काम करने को नीची नजर से देखते हैं, इसलिए उन्हें अपनी कम्युनिटी से निकाल देने का बुरा अनुभव भी झेलना पड़ा।

रुपाली गांगुली ने एक इंटरव्यू में अपने संघर्ष के दिनों के बारे में खुलकर बात की है। उन्होंने कहा, 'टीवी फिर से संघर्ष के दिन थे। मुझे घर चलाना था, इसलिए जो काम मिला, उसे कर लिया। खासतौर पर बंगाली कम्युनिटी में इसे नफरत भरी नजर से देखा जाता था, क्योंकि इसे नीचा समझा जाता था। तो आप एक तरह से आउटकास्ट कर दिए गए है, अपनी कम्युनिटी से निकाल दिए गए हैं। लोग मेरे लिए अफसोस की तरह महसूस करते थे, क्योंकि मैं टीवी कर रही थी। लेकिन मुझे इसकी जरा भी परवाह नहीं थी, क्योंकि उस समय हमें घर चलाने की जरूरत थी।'

Source : Agency

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