संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए महत्व-पूजा विधि

नई दिल्ली
शनिवार को 'संकष्टी चतुर्थी' है। इस दिन विघ्नहर्ता गणेश भगवान की पूजा की जाती है और उसके बाद रात में चांद की पूजा होती है और उन्हें अर्ध्य दिया जाता है। यह सभी चतुर्थियों में सबसे शुभ मानी जाती है। इस पूजा को करने के बाद इंसान का हर कष्ट दूर हो जाता है। प्रमुख रूप से व्रत माएं अपनी संतानों के लिए रखती हैं, जिससे कि उनके बच्चों पर हमेशा बप्पा की कृपा बरसती रहें और उन पर कोई संकट ना आए और लंबी आयु, सुख, धन और उन्नति प्राप्त करें। आपको बता दें कि शास्त्रों में इस व्रत को सर्वबाधा निवारण व्रत कहा गया है।
 

ब्रह्म मुहूर्त- 03:35 सुबह से 04:17 सुबह तक.
अभिजीत मुहूर्त- 11:18 सुबह से 12:13 शाम तक
चन्द्रोदय मुहूर्त: रात 10 बजकर 30 मिनट
पूजा विधि और महत्व

सबसे पहले नहा-धोकर, साफ कपड़े पहनकर गणेश जी की पूजा करें।
अपने सामर्थ्य के हिसाब से उनका श्रृंगार करें और उन्हें भोग लगाएं।
उसके बाद चंद्रमा की पूजा करें और उन्हें अर्ध्य दें।
अगर बिना पानी के व्रत कर सकें तो निर्जला व्रत करें और नहीं तो ये व्रत फलाहार खाकर भी रखा जाता है।
सभी गृहस्थों को जीवन में कम से कम एक बार संकट चतुर्थी व्रत अवश्य करना चाहिए।
इससे जीवन में कोई बाधा नहीं आती।
सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए संकट चतुर्थी व्रत का संकल्प लेकर इसे पूर्ण करना चाहिए।
इससे कामना अवश्य पूरी होती है।
इन मंत्रों से कीजिए गणेश भगवान को प्रसन्न

ऊं वक्रतुंडाय हुम्‌
उच्छिष्ट गणपति का मंत्र- ऊं हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा
विघ्नराज रूप की आराधना का मंत्र - गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:
हेरम्ब गणपति का मंत्र जपें- 'ऊं गं नमः'
ऊं श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
ऊं वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा

Source : Agency

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