भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रतिनियुक्ति नियमों में प्रस्तावित संशोधन सहकारी संघवाद की भावना के विपरीत

जयपुर
 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (संवर्ग) नियम, 1954 के नियम 6 (संवर्ग अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति) में प्रस्तावित संशोधनों को रोके जाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि ये प्रस्तावित संशोधन हमारे संविधान की सहकारी संघवाद की भावना को प्रभावित करने वाले हैं। इससे केंद्र एवं राज्य सरकारों के लिए निर्धारित संवैधानिक क्षेत्राधिकार का उल्लंघन होगा और राज्य में पदस्थापित अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों में निर्भय होकर एवं निष्ठापूर्वक कार्य करने की भावना में कमी आएगी।

गहलोत ने अपने पत्र में देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा 10 अक्टूबर, 1949 को संविधान सभा में अखिल भारतीय सेवा पर हुई बहस के दौरान दिए गए व्यक्तव्य ‘‘यदि आप एक कुशल अखिल भारतीय सेवा चाहते हैं, तो मैं आपको सलाह देता हूं कि आप सेवाओं को खुलकर अभिव्यक्त होने का अवसर दें। यदि आप सेवाप्राप्तकर्ता हैं तो यह आपका कर्तव्य होगा कि आप अपने सचिव, या मुख्य सचिव, या आपके अधीन काम करने वाली अन्य सेवाओं को बिना किसी डर या पक्षपात के अपनी राय व्यक्त करने दें। इसके अभाव में आपके पास अखंड भारत नहीं होगा। एक अच्छी अखिल भारतीय सेवा वह होगी जिसमें अपने मन की बात कहने की स्वतंत्रता है, जिसमें सुरक्षा की भावना है, जो आप अपने बात पर अडिग रह सकें और जहां उनके अधिकार और विशेषाधिकार सुरक्षित हैं।‘‘ को दृष्टिगत रखते हुए कहा है कि यह संशोधन संविधान की मूल भावना के विपरीत है।
 
जनकल्याण के लक्ष्य अर्जित करने में राज्यों को होगी परेशानी

गहलोत ने पत्र में कहा है कि इस संशोधन के बाद केन्द्र सरकार संबंधित अधिकारी और राज्य सरकार की सहमति के बिना ही अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर बुला सकेगी। उन्होंने कहा है कि हमारे देश के संविधान निर्माताओं ने अखिल भारतीय सेवाओं की संकल्पना जन कल्याण तथा संघवाद की भावना को ध्यान में रखकर की थी। इस संशोधन से लौहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया’ बताई गई सेवाएं भविष्य में कमजोर होंगी। संशोधन के कारण संविधान द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति तथा जन कल्याण के लक्ष्यों को अर्जित करने के राज्यों के प्रयासों को निश्चित रूप से ठेस पहुँचेगी।

राज्यों को अधिकारियों की कमी का करना पडे़गा सामना

मुख्यमंत्री ने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि अखिल भारतीय सेवा नियमों में संशोधन के संबंध में 20 दिसम्बर, 2021 को केन्द्र सरकार द्वारा पत्र के माध्यम से राज्यों से सलाह मांगी गई थी। इस प्रस्ताव पर सलाह प्राप्त करने की प्रक्रिया के दौरान ही केन्द्र सरकार द्वारा पुनः एकतरफा संशोधन प्रस्तावित कर 12 जनवरी, 2022 को दोबारा सलाह आमंत्रित कर ली है। उन्होंने कहा है कि यह प्रस्तावित संशोधन अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना के मामले में केंद्र और राज्यों के बीच मौजूदा सौहार्दपूर्ण वातावरण को भी प्रभावित करता है। इस प्रस्तावित संशोधन से अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति में राज्यों की सहमति के अभाव से राज्य प्रशासन प्रभावित होगा। प्रदेशों को योजनाओं के क्रियान्वयन, नीति-निर्माण और मॉनिटरिंग में अधिकारियों की कमी का भी सामना करना पड़ेगा।
 
गहलोत ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वे व्यक्तिशः हस्तक्षेप कर इन प्रस्तावित संशोधनों के माध्यम से भारत के संविधान एवं राज्यों की स्वायत्तता पर हो रहे आघात पर रोक लगाएं, ताकि हमारे देश के संविधान निर्माताओं द्वारा विकसित संघवाद की भावना को अक्षुण्ण रखा जा सके।

Source : Agency

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