भाजपा को 400 सीटों को जीतने का लक्ष्य हासिल करने पूर्वी भारत के दो राज्य और साउथ इंडिया होंगा अहम

नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत 102 सीटों पर मतदान हो चुका है। वहीं सूरत लोकसभा सीट पर भाजपा का कैंडिडेट निर्विरोध ही जीत चुका है। इसके साथ ही चुनाव का नतीजा आने से पहले ही 400 सीटों का नारा देने वाली भाजपा का खाता खुल गया है। विपक्षी दलों की ओर से जहां 400 के दावे पर सवाल उठाते हुए जीत को लेकर की आशंका जताई जा रही है तो वहीं भाजपा का कहना है कि यह नारा हकीकत में तब्दील होगा। इस बारे में पूछे जाने पर भाजपा के रणनीतिकार कहते हैं कि उत्तर भारत में पार्टी ने 2019 के आम चुनाव में अपना टॉप प्रदर्शन कर लिया था। ऐसे में यह आंकड़ा अब पूर्वी और दक्षिणी भारत के जरिए छुआ जा सकता है।

भाजपा के रणनीतिकार यह भी कहते हैं कि टास्क बेहद मुश्किल जरूर है, लेकिन असंभव नहीं है। जानकारों का कहना है कि भाजपा को यदि 400 के करीब पहुंचना है तो उसे इस बार दक्षिण और पूर्वी भारत में भी वही सफलता पानी होगी, जो उसने 2014 और 2019 में उत्तर भारत में पाई थी। पोल कराने वाली कंपनी एक्सिस माय इंडिया के चेयरमैन प्रदीप गुप्ता कहते हैं, '2019 में एनडीए ने 352 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसका मतलब है कि इस बार उसे अतिरिक्त 48 सीटों की जरूरत होगी। भाजपा और एनडीए का प्रदर्शन इस बार तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश जैसे साउथ के राज्यों पर भी निर्भर करेगा।'

अब से पहले सिर्फ 1984 में किसी पार्टी को अपने दम पर 400 से ज्यादा सीटें मिली थीं। तब राजीव गांधी 404 सीटें जीतकर सत्ता में आए थे। इसकी वजह कांग्रेस के जनाधार के अलावा इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति की लहर को भी माना गया था। एक्सिस माय इंडिया के सर्वे के अनुसार यदि भाजपा को साउथ की 130 सीटों में से ज्यादातर पर जीत मिलती है तो फिर 400 का आंकड़ा करीब होगा। फिलहाल यहां की 31 सीटों पर ही भाजपा काबिज है। इनमें भी सबसे बड़ा हिस्सा कर्नाटक का है। यहां भाजपा ने पिछली बार 25 सीटें जीती थीं।

दिल्ली स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च से जुड़े नीलांजन सरकार कहते हैं, 'भाजपा को 400 के लिए साउथ में आधार बढ़ाना होगा। मोदी को तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अच्छा प्रदर्शन करना होगा।'हालांकि वह यह भी कहते हैं कि इतना बड़ा नंबर लाने की बात कहना आसान है, लेकिन करना मुश्किल है। भाजपा का फिलहाल दक्षिणी राज्यों में जनाधार कम है। लेकिन भाजपा इस बार काफी आक्रामक है। यहां तक कि उसने 14 भाषाओं में नरेंद्र मोदी का भाषण AI की मदद से तैयार कराया है और आक्रामक कैंपेन चल रहा है। कई महीनों से पीएम नरेंद्र मोदी खुद दक्षिणी राज्यों का दौरा कर रहे हैं। कच्चाथीवू द्वीप समेत कई मुद्दे ऐसे उठाए जा चुके हैं, जो तमिलनाडु के लोगों को प्रभावित करते हैं।  

महाराष्ट्र की जंग से भी भाजपा को बढ़त की उम्मीद

भाजपा ने बीते चुनाव में शिवसेना के साथ मिलकर महाराष्ट्र में चुनाव लड़ा था। तब गठबंधन को 48 में से 41 सीटें मिली थीं। इस बार शिवसेना का एक हिस्सा भाजपा के साथ है और एनसीपी का भी एक गुट साथ है। ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि टूटे विपक्ष के मुकाबले उसकी एकता मजबूत है और महाराष्ट्र में कम से कम 2019 वाला प्रदर्शन वह दोहरा सकती है। भाजपा को लगता है कि मिशन 400 पार में महाराष्ट्र का रोल अहम होगा।

ओडिशा और बंगाल ने भाजपा की उम्मीदें परवान चढ़ाईं

भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद 42 सीटों वाले बंगाल से है। यहां उसे लगता है कि सीटों का आंकड़ा 30 के करीब पहुंच सकता है। इसके अलावा एक और पूर्वी राज्य ओडिशा में भी भाजपा को उम्मीद है कि 21 में से कम से कम 15 पर जीत मिल सकेगी। सत्ताधारी पार्टी बीजेडी के कई नेता भाजपा में आ चुके हैं। यहां तो उसे राज्य की सत्ता में भी बड़े फेरबदल की उम्मीद है, जहां नवीन पटनायक दो दशकों से ज्यादा समय से डटे हुए हैं।

 

Source : Agency

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